समाज के लिए हो या अपने लक्ष्य के लिए हमें लड़ना होगा अपनों के लिए, अपनों के अपनों के लिए... हर इंसान की जिंदगी में किसी न किसी परिस्थिति में एक बार तो लड़ने की जरूरत पड़ती है। कई बार इस लड़ाई का मकसद समाज की भलाई होती है तो कई बार अपने अपनों की रक्षा के लिए होती है।
चाहे किसी सामाजिक मुद्दे पर हो या अपने लक्ष्य के लिए, हमें उठकर अपनों के लिए लड़ना होता है। समाज के लिए इंसान को सदैव जुटना चाहिए।
अगर किसी समाज में अन्याय, असहिष्णुता और भ्रष्टाचार होता है तो उस समाज के लिए सुधारणा जरूरी होता है। अगर हमें समाज के लिए लड़ना होता है तो हमें समाज में उसका सुधारना चाहिए। हमें जागरूकता फैलानी चाहिए, लोगों को जानकारी देनी चाहिए और समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए।
लेकिन कई बार हमारे खुद के लक्ष्य होते हैं जिनको हासिल करने के लिए हमे अपने चाहने वालों के साथ लड़ना पड़ता है।
किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए हमें हमेशा उठकर अपनों के लिए लड़ना पड़ता है। हमारे प्रेरणास्त्रों ने भी अपने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कई संघर्ष किए होते हैं।
इसलिए, चाहे हमारा मकसद हो समाज की सुधारणा या अपने लक्ष्य की प्राप्ति, हमें बिना हार माने अपनों के लिए लड़ना होता है। इससे हमारा अपने लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलती है और समाज की भी उन्नति होती है।
इसलिए, हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए कि चाहे समाज के लिए हो या अपने लक्ष्य के लिए, हमें अपनों के लिए लड़ना है।